लेखनी प्रतियोगिता -19-Feb-2022 - फितूर
फितूर ऐसा उठा आज मन में,
कुछ रंगों को भरा जाए जीवन में |
कहीं बैठ नदी के किनारे पर ,
कंकर फेंकें बीच भंवर पर |
पहुंच गए हम समुंद्र पर एक,
कंकर भी दिखाई दिए अनेक |
उठाए पत्थर लगे फेंकने जब,
मछलियों का जमघट आया तब |
मन उनको देख प्रफुल्लित हो गया,
कंकर फेंकना तो मैं भूल ही गया |
लाया दौड़कर मछलियों का दाना ,
फितूर छोड़ मैं तो बन गया सयाना ||
प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)
Shrishti pandey
20-Feb-2022 09:34 AM
Nice
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Punam verma
20-Feb-2022 09:03 AM
Very nice
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Abhinav ji
19-Feb-2022 08:07 PM
Nice
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Shikha Arora
19-Feb-2022 08:19 PM
Thank u ji🙏
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